उत्तराखंड

…तो नैनी झील में सूख गए सभी प्राकृतिक जल स्रोत

नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसरों का दावा है कि नैनीताल झील से जुड़े अधिकतर जल स्रोत सूख चुके हैं। झील को भरने के लिए अब केवल बरसात का पानी ही एक विकल्प बचा है। इन प्रोफेसर्स ने चेतावनी जारी की है कि नैनी झील को बचाने के लिए मानवीय दखल और जरूरतों के लिए झील से खींचे जा रहे पानी पर तुरन्त रोक नहीं लगाई गई तो यह झील केवल एक यादगार बनकर रह जाएगी।

कुमाऊं विश्वविद्यालय के भू विज्ञान विभाग के हेड प्रो. चारू पंत का दावा है कि नैनी झील अब महज एक खाई रह गई है। झील के आसपास के 30 बड़े जल स्रोत सूख गए हैं और झील के भीतर के प्राकृतिक श्रोतों में भी अब पानी नहीं बचा हैं। उन्होंने झील के आसपास अतिक्रमण और मानवीय दखल को इसके लिए जिम्मेदार बताया है। प्रो. पंत के इस दावे को प्रो. अजय रावत भी सही ठहरा रहे हैं।

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