कोरोना संकट V/S हालत-ए-दून … दूसरों को भी ले डूबेगी ये लापरवाही
दून में लापरवाही का खौफनाक मंजर ,ज्यादातर लोग मास्क पहनना भी नहीं समझ रहे जरूरी
सामाजिक दूरी के नियम की खुलेआम उड़ रही धज्जियां, टोके कौन ? कौन बुराई मोल ले ?
जून व जुलाई के महीनों में सबसे अधिक बढ़ सकता है कोरोना संक्रमण का ग्राफ
- पंकज भार्गव
कोरोना से जारी लड़ाई में प्रदेश सरकार ने लाॅकडाउन के तीसरे चरण के तहत 04 मई से सशर्त छूट दी हुई है। दून में इन शर्ताें का पालन खिलवाड़ बनता दिखाई दे रहा है। सुबह 7.00 बजे से शाम के 4.00 बजे तक सड़कों पर फिर से वाहनों का सैलाब उमड़ने लगा है। प्रशासन की लगातार अपील के बावजूद ज्यादातर लोग बेवजह ही घरों से निकल रहे हैं। लापरवाही का सबसे खौफनाक मंजर यह है कि ज्यादातर लोग मास्क पहनना भी जरूरी नहीं समझ रहे हैं।
लाॅक डाउन में छूट मिलने के बाद अगले दिन से सड़कों पर उमड़ी भीड़ को देखकर ऐसा लगने लगा है जैसे कोरोना देहरादून के लोगों से हार गया है। बाजार में बिना मास्क ही लोग दुकानों पर खरीदारी कर रहे हैं तो दुकानदार भी ग्राहक को भगवान मानकर उन्हें टोकने से बच रहे हैं। सामाजिक दूरी के नियम की धज्जियां खुले आम उड़ रही है लेकिन टोके कौन ? कौन बुराई मोल ले ?
कोरोना संकट के शुरूआती दौर से ही स्वास्थ्य विभाग और पुलिसकर्मी लगातार कमरतोड़ मेहनत में जुटे हैं। जबकि घरों से एक माह से भी अधिक समय बाद निकले दून के शिक्षित लोग सब कुछ जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं। आॅरेंज जोन का हवाला देकर कुछ लापरवाह लोग दुपहिया वाहनों पर दो सवारी के नियम को लेकर पुलिस से उलझ रहे हैं। बिना छुट्टी ड्यूटी कर रहे थके हारे पुलिसकर्मी आखिरकार कब तक अपने संयम को कायम रख पाएंगे ? यह एक बड़ा सवाल है।
पूरी दुनिया में कोरोना संकट से हजारों जानें चली गई हैं। वहीं न जाने क्यों हमारे यहां इस महामारी को बहुत हल्के में लिया जा रहा है। कोरोना से बेखौफी की सबसे बड़ी वजह यह भी है कि अभी तक सूबे में इस बीमारी से मरने वालों का आंकड़ा शून्य है। यही वजह है कि लोग मास्क पहनने, और सामाजिक दूरी को बनाये रखने की प्रशासन की अपील को हल्के में ले रहे हैं। लापरवाह लोग भूल रहे हैं कि कोरोना को अपने घर में लाने के लिए वे खुद घर से बाहर निकले हैं।
आॅल इंडिया इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज AIIMSदिल्ली के निदेशक डाॅ रणदीप गुलेरिया के अनुसार कोरोना के इलाज में जुटे डाॅक्टरों के अनुसार हमारे देश में कोरोना बीमारी के संक्रमण का ग्राफ जून व जुलाई के महीनों में सबसे अधिक बढ़ सकता है। बेपरवाही के आलम को देखकर डाॅक्टरों के इस अनुमान को गलत भी नहीं कहा जा सकता।
कोरोना वाइरस से बचाव को लेकर पुलिस प्रशासन के अनुरोध को नजरअंदाज कर अपनी जान के दुश्मन बनने वालों समय रहते सुधर जाओ ! कहीं ऐसा न हो कि तुम खुद के साथ में अपने परिजनों, समाज को भी अपने साथ ले डूबो !