श्रद्धांजलि: ….10 मिनट में दाग दीं थीं 1650 राउंड गोलियां
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बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट, अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों व दो नेताओं सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में एक सभा रखी गई थी, जिसमें कुछ नेता भाषण देने वाले थे। शहर में कफ्र्यू लगा हुआ था, फिर भी इसमें सैंकड़ों लोग ऐसे भी थे, जो बैसाखी के मौके पर परिवार के साथ मेला देखने और शहर घूमने आए थे और सभा की खबर सुन कर वहां जा पहुंचे थे। करीब 5,000 लोग जलियांवाला बाग में एकत्र थे। ब्रिटिश सरकार के कई अधिकारियों को यह 1857 के गदर की पुनरावृत्ति जैसी परिस्थिति लग रही थी जिसे रोकने और कुचलने के लिए वो कुछ भी करने के लिए तैयार थे।
जब क्रांतिकारी नेता बाग भाषण दे रहे थे, तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजीनाॅल्ड डायर 90 ब्रिटिश सैनिकों को लेकर वहां पहुँच गया। उन सब के हाथों में भरी हुई राइफलें थीं। सैनिकों ने बाग को घेर कर बिना कोई चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलानी शुरु कर दीं। 10 मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गईं। जलियांवाला बाग उस समय मकानों के पीछे पड़ा एक खाली मैदान था। वहां तक जाने या बाहर निकलने के लिए केवल एक संकरा रास्ता था और चारों ओर मकान थे। भागने का कोई रास्ता नहीं था। कुछ लोग जान बचाने के लिए मैदान में मौजूद एकमात्र कुएं में कूद गए, पर देखते ही देखते वह कुआं भी लाशों से पट गया।
अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते हैं। जबकि अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए। इस घटना से आहत सरदार ऊधमसिंह ने 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हाॅल में इस घटना के समय ब्रिटिश लेफ्रिटनेण्ट गवर्नर मायकल ओ ड्वायर को गोली मार कर अपना प्रतिशोध पूरा किया था। बाद में ऊधमसिंह को 31 जुलाई 1940 को फाँसी पर चढ़ा दिया गया था।
साभार: विकिपीडिया
Key Words : Tribute, Baisakhi, The Rowlett Act, Jallianwala Bagh