… तो बेरोजगार हो जाएंगे अतिथि शिक्षक
देहरादून। 31 मार्च के बाद राज्य में सेवा देने वाले हजारों अतिथि शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो इन शिक्षकों के परिवारों के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो जाएगी। साथ ही इसका असर राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ेगा। फिलहाल मामला हाईकोर्ट में है। राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए पूर्व की कांग्रेस सरकार ने अतिथि शिक्षकों की भर्ती की थी।
राज्य के दुर्गम पहाड़ी और दूरस्थ इलाकों में शिक्षा की हालत खराब है। इसे सुधारने के मकसद से हरीश रावत सरकार ने करीब छह हजार अतिथि शिक्षकों की भर्ती की थी। नैनीताल हाईकोर्ट की बैंच ने इन अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियों को असंवैधानिक करार दे दिया था। जिसके तहत ये शिक्षक 31 मार्च 2017 तक ही स्कूलों में अपनी सेवाएं दे सकेंगे। नौकरी जाने की खबर को लेकर शिक्षकों में नाराजगी है, लेकिन कोर्ट के आदेश के आगे सरकार और विभाग दोनों ही बेबस हैं। ऐसी स्थिति पहले भी आई थी जब प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। राष्ट्रपति शासन खत्म होते ही हरीश रावत सरकार ने इन शिक्षकों को 31 मार्च तक के लिए बहाल कर दिया था। अब अतिथि शिक्षकों का कार्यकाल पूरा होने वाला है।
शिक्षकों का कहना है कि वे हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट की डबल बेंच की पीठ में अपील करेंगे। अतिथि शिक्षकों ने हरीश रावत सरकार के सामने आंदोलन भी किया था। उस समय भाजपा ने भी सरकार को खूब घेरा था। अब परिस्थितियां बदल गई हैं। राज्य में भाजपा की सरकार बन चुकी है।
मामले में माध्यमिक शिक्षा निदेशक आरके कुंवर का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार 31 मार्च के बाद से अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि इसके बाद न्यायालय जो भी फैसला देगा विभाग उसी के अनुसार काम करेगा।
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