बुद्धि, ज्ञान और साहस हों दिव्यांगता के मानक : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किये
पीआईबी/नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में, राष्ट्रपति ने कहा कि सभी नागरिकों की पूरी क्षमता का भाव सुनिश्चित करने पर ही देश का भविष्य निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, एक ऐसे संवेदनशील और सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण करना होगा, जहां हर व्यक्ति अपने को सशक्त महसूस करता है। एक ऐसा सहानुभूतिपूर्वक समाज, जहां एक व्यक्ति दूसरे के दर्द को महसूस करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान में दिव्यांगजनों सहित सभी नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता, न्याय और गरिमा की गारंटी दी गई है। सरकार ने दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण, समावेश और उन्हें मुख्य धारा में शामिल करने के लिए कानून लागू किए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी दिव्यांगजन का मूल्यांकन उसकी शारीरिक क्षमता से नहीं अपितु उसकी बुद्धि, ज्ञान और साहस से किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें पूर्ण आशा हैं कि वे अन्य दिव्यांगजनों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए प्रेरणा दे सकेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे देश के नागरिक अपने सभी दिव्यांगजन भारतीयों के लिए एक उचित और संवेदनशील दृष्टिकोण के साथ एक नए समावेशी भारत का निर्माण करेंगे।
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