उत्तराखंड

आशाराम को खाली करनी होगी ऋशिकेष में कब्जाई जमीन

डीबीएल संवाददाता/नैनीताल। दुष्कर्म मामले में सजायाफ्ता आशाराम बापू को हाईकोर्ट ने फिर बड़ा झटका लगा है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आशाराम के ऋषिकेश मुनि की रेती ब्रह्मपुरी निरगढ़ में वन भूमि पर कब्जे को अतिक्रमण मानते हटाने तथा वन विभाग को जमीन कब्जे में लेने के आदेश जारी किए हैं।

मामले में अपर मुख्य मुख्य वन संरक्षक राजेन्द्र कुमार ने रेन फारेस्ट हाउस निवासी स्टीफन व तृप्ति के शिकायती पत्र पर कार्रवाई के आदेश डीएफओ नरेंद्रनगर को दिए थे। शिकायत में उल्लेख किया गया था कि आशाराम आश्रम के कर्मचारियों द्वारा अतिक्रमण कर नाले में दीवार बना दी है। भूमि पर कब्जा किया था उसकी लीज लक्ष्मण दास के नाम थी, जो समाप्त हो गई मगर आशाराम के कर्मचारियों ने अतिक्रमण कर भूमि पर कब्जा कर लिया। वन विभाग की ओर से वन भूमि खाली करने का नोटिस आशाराम को दिया गया तो हाईकोर्ट ने नोटिस पर रोक लगा दी। बाद में वन विभाग ने मामले में आपत्ति दर्ज करवाई।

वन विभाग की ओर से अधिवक्ता कार्तिकेय हरीगुप्त ने अदालत को बताया कि लीज 1970 में समाप्त हो चुकी है और कानूनी रूप से लीज ट्रांसफर नहीं हो सकती। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद स्टे ऑडर निरस्त कर दिया। एकलपीठ के आदेश को आशाराम आश्रम की ओर से विशेष अपील दायर कर चुनौती दी गई जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

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