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पुलिस बल को तकनीकी रुप से सृदढ बनाया जाना जरूरी – सीएम

देहरादून। सात उत्तरी राज्य के पुलिस महानिदेशकों एवं सीएपीएफएस/सीपीओस के क्षेत्रीय अधिकारियों की चतुर्थ उत्तरी क्षेत्रीय समन्वय समिति की कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने किया। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज के इस आधुनिक युग में तकनीक के माध्यम से दूरियां आज कम हो गयी है इसलिये ऐसे परिपेक्ष्य में आपसी समन्वय एवं संवाद की जरुरत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है हमे अपने पुलिस बल को तकनीकी रुप से सृदढ बनाने की आवश्यकता है।

शनिवार को पुलिस ऑफिसर्स मैस, किशनपुर देहरादून में कॉन्फ्रेंस का उदघाटन करते हुये मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा बैठक में उपस्थित सभी अधिकारियों का स्वागत करते हुये कहा कि बैठक में पाँच राज्य ऐसे है कि जिनकी अन्तराष्ट्रीय सीमा है, जिससे यह कॉन्फ्रेन्स और अधिक महत्तवपूर्ण हो गई है। राज्य के मध्य समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से कॉन्फ्रेन्स प्रारम्भ करना बहुत ही महत्वपूर्ण एवं दूरदर्शी निर्णय है। क्योकि पुलिस का जनता से सीधा संवाद होता है इस प्रकार के कॉफ्रेंस से बेहतर समन्वय एवं कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।

पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड अनिल के. रतूड़ी, ने कहा कि समय बहुत तेजी से बदल रहा है। आज के युग में संचार में तेजी आयी है जिससे बाहरी एवं आन्तरिक सुरक्षा के खतरे साथ हो गये हैं जो राज्यो के समक्ष चुनौती है। अपने सीमित संसाधनों से देश विरोधी तत्वों एवं अपराधियों के विरूद्ध राज्य की पुलिस को तुरन्त कार्यवाही करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कॉन्फ्रेंस अपने विचारों को अदान-प्रदान करने का एक अच्छा मंच है जिसमें नितिगत निर्णय लेकर अपराध नियंत्रण एवं शान्ति-व्यवस्था बनाने में हम कार्य करेंगे जिसका जनता को इसका फायदा मिलेगा।

अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने कहा कि वर्ष-2015 में प्रधानमंत्री ने पुलिस महानिदेशक कॉन्फ्रेंस में राज्यों के पुलिस बलों के मध्य समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से क्षेत्रीय कॉफ्रेंस आयोजित करने का निर्णय लिया गया था जिसके अनुपालन उत्तरी क्षेत्रीय समन्वय समिति का आयोजन किया जाता है, उत्तराखण्ड को प्रथम बार इस बैठक का आयोजित करने का मौका मिला है। इससे पूर्व नई दिल्ली, लखनऊ एवं शिमला में यह कॉन्फ्रेंस आयोजित हुआ है। आपराधी कोई सीमा नही जानते इसलिए बहुत जरुरी है कि पुलिस भी सीमाओं की बाधाएं तोड़कर आपसी समन्वय बढ़ाए, जिससे अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सके।

कॉन्फ्रेंस में आतंकवाद, अपराध नियन्त्रण, ड्रग्स कन्ट्रोल, आपदा नियन्त्रण, सीमा प्रबन्धन, साईबर क्राईम, मादक पदार्थों की तस्करी, अन्तर्राज्यीय गैंग, ईनामी/वांछित अपराधी, पुलिस कल्याण, पुलिस आधुनिकिकरण आदि बिन्दुओं पर चर्चा हुई।
अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था, हिमाचल प्रदेश अनुराग गर्ग ने बताया कि हिमाचल पुलिस को ड्रग कन्ट्रोलर के अधिकारी देने सम्बन्धी प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।

वीके सिंह, स्पेशल पुलिस महानिदेशक, जम्मू एवं कश्मीर ने कहा कि केन्द्र सरकार की सहायता से प्रदेश में नशा-मुक्ति केन्द्र स्थापित किये है जिनकों सम्बन्ध में जानकारी लेने हेतु अन्य राज्यों को आमंत्रित किया।
रवि कुमार, सेनानायक एनडीआरएफ ने आपदा के दौरान राज्य पुलिस बल से प्राप्त होने वाली आवश्यकताओं के सम्बन्ध में जानकारी दी गई।

संजय माथुर, संयुक्त निदेशक एनसीआरबी द्वारा अपने प्रस्तुति करण के माध्यम से सीसीटीएनएस में होने वाले अपडेट्स एवं नवीन सॉफ्टवेयर के सम्बन्ध में जानकारी दी गई। जिसमें आदतन अपराधियों एवं सक्रिया गैंग से सदस्यों का राष्ट्रिय डाटाबेस तैयार करने, वाहन चोरी की ऑनलाइन शिकायत एवं चरित्र सत्यापन हेतु ऑनलाइन आवेदन आदि प्रमुख हैं।

कॉन्फ्रेंस में एसएस देशवाल, विशेष पुलिस महानिदेशक बीएसएफ, प्रशान्त कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ जोन आलोक कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक हरियाणा, वी विनय कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक अभिसूचना एवं सुरक्षा उत्तराखण्ड, राम सिंह मीणा, अपर पुलिस महानिदेशक प्रशासन उत्तराखण्ड सहित पंजाब, दिल्ली, चण्डीगढ़, एनएसजी, सीबीआई, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी, आईटीबीपी, एनसीआरबी, एनआईए, आसूचना ब्यूरो, नारकोटिक ब्यूरो के महानिरीक्षक/उपमहानिरीक्षक/पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी उपस्थित रहे।

कॉन्फ्रेंस में इन बिंदुओं पर लिया गया निर्णय :

– विभिन्न अन्तर्राज्जीय अपराधियों एवं सक्रिय गैगों के सदस्यों पर प्रभावी कार्यवाही हेतु राज्य स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने की सहमति बनी।
– नोडल अधिकारियों के व्हाटसएप्प ग्रुप बनाने का निर्णय लिया गया जिससे वह निरन्तर सम्पर्क में रहे तथा सूचनाओं का अदान प्रदान हो सके।
– सीमावर्ती जनपदों के राज्यों के पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों की मासिक बैठक तथा पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारियों का त्रैमासिक बैठक करने पर विचार किया गया। साथ ही विभिन्न प्रदेशों की एसटीएफ के अधिकारियों की त्रैमासिक बैठक करने का भी निर्णय लिया गया, जिससे बड़े अन्तर्राज्यीय गैंग के सदस्यों पर शिकंजा कसा जा सके।
– अज्ञात शवों की शिनाख्त हेतु आधार डाटा बेस से जानकारी प्राप्त करने पर भी चर्चा की गयी।
– मादक पदार्थों की बरामदगी में अभियुक्तों से संयुक्त पूछताछ हेतु विभिन्न ऐजन्सियों को सम्मिलित किया जाये तथा पूछताछ में प्रकाश में आये महत्तवपूर्ण तथ्यों को सभी के साथ साझा किये जाने का निर्णय लिया गया तथा अन्तर्राज्यीय ड्रग्स तस्करी मार्गों पर भी सतर्क निगरानी रखी जाये।

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