मिसाल : … सुनील एक हुनरमंद कारीगर !
पंकज भार्गव
‘‘अमूमन जहां एक ओर शहरों में स्कूली पढ़ाई के बाद बच्चों का करियर बनाने के लिए अभिभावक कई तरह के तकनीकी कोर्स करवाने की खातिर अपनी मेहनत की कमाई या फिर उधारी पर लिए गये लाखों रुपये दांव पर लगा देते हैं वहीं उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले के एक पहाड़ी गांव के नवयुवक सुनील के आर्थिक हालातों से मुकाबले के जब्बे ने उसे एक कामयाब हाथ के हुनर का कारीगर बना दिया। सुनील ने इस बात को भी सच कर दिखाया कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती।’’
सुनील ! पहाड़ के गांव का एक सीधा-साधा नवयुवक। मेहनत और लगन के दम पर हाथ के हुनर की राह पकड़ने वाला सुनील आज एक कामयाब बैल्डिंग कारीगर है। दिखने में गंभीर लेकिन खुशमिजाज सुनील ने बातचीत के दौरान अपने कामयाबी के सफर में के बारे में बताया कि पिता के गुजरने के बाद परिवार पैसे की तंगी से जूझने लगा। परिवार का पेट भरने के लिए स्कूली पढ़ाई बीच में ही छोड़ना मेहनत मजदूरी करना सुनील की मजबूरी बन गया। अपने गांव के एक बैल्डिंग ठेकेदार के पास करीब एक साल मजदूरी के साथ-साथ सुनील ने बैल्डिंग के काम की बारीकियों को सीखना भी शुरू कर दिया। करीब 5 साल की मेहनत रंग लाई और सुनील आज एक कामयाब कारीगर है। अपने गांव और आस-पास के गांवों के लोग सुनील के काम की तारीफ करते नहीं थकते हैं।
सुनील के व्यक्तित्व की एक खूबी और है कि वह अपने काम से समय मिलने के बाद वह नियमित रूप से बॉडी बिल्डिंग भी करता है। खुद तैयार किये गये उसके कसरत करने के उपकरण उसकी लगन को परिभाषित करते नजर आते हैं।