टैक्सी घोटाले के आरोपियों से ही वसूली जाएगी रकम
देहरादून। उत्तराखंड में चर्चित टैक्सी घोटाले की जांच में जमकर हेराफेरी सामने आ रही है। शासन ने टैक्सी बिल घोटाले में लिप्त कर्मचारियों और आरोपियों से ही घोटाले की रकम वसूलने का फैसला किया है। अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश इस मामले की जांच कर रहे हैं।
उत्तराखंड सरकार के पास लग्जरी गाडियों का बेड़ा होने के बावजूद भी मुख्यमंत्रियों के टूर के लिए टैक्सी ली जाती रही हैं। अभी तक की जांच में पौने दो करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ है। मामले में कार्मिक विभाग को चिट्टी भेजी गई है। अब यह विभाग तय करेगा कि सरकार को हुए नुकसान की भरपाई के लिए किस आरोपी से कितनी रकम वसूली जाए। इस घोटाले में एक पूर्व मुख्यमंत्री के निजी सचिव का नाम भी शामिल है। जांच में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि निजी सचिवों ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बिलों का भुगतान किया। बिलों की कोई जांच भी नहीं की गई। जांच में कई फर्जी बिल पाए गए हैं।
ये है टैक्सी घोटाला : वर्ष 2009 से लेकर 2013 तक मुख्यमंत्रियों के टूर के नाम पर टैक्सी के बिलों का भुगतान किया गया था। यह बिल करीब पौने दो करोड़ रुपये के थे। जांच में पता चला कि मुख्यमंत्री कार्यालय और ट्रेवल एजेंसियों के संचालक मिलकर गलत तरीके से भुगतान देते और लेते रहे। इस मामले में कोषागार, शासन और स्वास्थ्य महानिदेशालय व सीएमओ कार्यालयों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई।
Key Words : Uttarakhand, Dehradun, Taxi Scandal, The accused, charged