अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस : सीएम योगी ने गोरखपुर की पीजीएसएस संस्था को राज्य स्तरीय पुरस्कार से किया सम्मानित
– लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के सभागार में आयोजित हुआ कार्यक्रम
– मुख्यमंत्री आदित्यनाथ नाथ योगी ने पीजीएसएस के डॉयरेक्टर फॉदर वर्गीस को प्रदान किया सम्मान
लखनऊ। अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर गोरखपुर जनपद में कार्यरत कैथोलिक धर्मप्रान्त की समाज सेवा इकाई पूर्वांचल ग्रामीण सेवा समिति (पीजीएसएस) को दिव्यांगों को सशक्त बनाने की दिशा में किए जा रहे सराहनीय कार्यों के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ नाथ योगी ने पीजीएसएस के डॉयरेक्टर फॉदर वर्गीस को प्रदान किया।
रविवार को अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के सभागार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सूबे के चयनित दिव्यांगजनों एवं दिव्यांगों के सशक्तिकीरण की दिशा में कार्य कर रही सामाजिक संस्थाओं को प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रदेश के गोरखपुर जिले में दिव्यांगों को सशक्त बनाने उनके अधिकारों की प्राप्ति और सर्वांगीण विकास के लिए कार्य कर रही संस्था पीजीएसएस को उल्लेखनीय कार्यों के लिए सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया। पीजीएसएस के डॉयरेक्टर फॉदर वर्गीस ने इस अवसर पर कहा कि यह सम्मान समस्त पीजीएसएस परिवार की मेहनत का प्रतिफल है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों को समाज और परिवार में सम्मान सहित जीवन यापन करने का अधिकार दिलवाना पीजीएसएस के प्राथमिक लक्ष्यों में शामिल है।
दिव्यांगों को आधिकार सम्पन्न व सशक्त बनाने को लेकर पीजीएसएस की ओर से चलाई जा रही मुहिम के परियोजना मैनेजर आनन्द पाण्डे ने कहा कि यह सम्मान दिव्यांगों के लिए संस्था की ओर से संचालित परिवर्तन परियोजना में शामिल समस्त दिव्यांगजनों और जमीनी स्तर पर कार्य रहे संस्था के कार्यकर्ताओं की उपलब्धि को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पुरस्कार व सम्मान हौसला अफजाई करने के साथ कार्य के प्रति समर्पण और सकारात्मक मूल्यांकन को भी दर्शाते हैं।
मार्गदर्शी बने डीहघाट के दिव्यांग धर्मेन्द्र भी हुए सम्मानित :
गोरखपुर जिले के ब्रह्मपुर ब्लॉक स्थित डीहघाट में रहने वाले दिव्यांग धमेन्द्र को अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री योगी ने सम्मानित किया। धर्मेन्द्र जन्म के समय से ही अपनी आंखों से नहीं देख सकते, लेकिन उनके हौसले ने उन्हें दिव्यांगों के लिए मागदर्शी बना दिया। धर्मेन्द्र बताते हैं कि वह स्कूली पढ़ाई करने से तो वंचित रह गए लेकिन उनके क्षेत्र में संचालित पीजीएसएस की परिवर्तन परियोजना और दिव्यांगों के संगठन से जुड़कर उन्होंने व्यवहारिक ज्ञान और महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कीं। धर्मेन्द्र कहते हैं कि आत्मनिर्भर बनना और परिवार की आर्थिकी संवारना उनके लिए एक बहुत बड़ी चुनौती था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और संगठन के माध्यम से जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण हासिल किया। आज अपने परिजनों के साथ सब्जी उत्पादन का कार्य कर रहे धर्मेन्द्र अन्य दिव्यांगजनों के लिए मिसाल से कम नहीं हैं।
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