उत्तराखंड

भ्रूण हत्या करना सबसे बड़ा पाप – व्यास पं. भगवती प्रसाद फोन्दणी

देहरादून। भ्रूण हत्या एक सामाजिक अभिशाप होने के साथ ही सबसे बड़ा पाप है। पुत्र की चाहत में पेट में ही कन्या की हत्या कर दी जाती है। ऐसा होता रहा तो धरती पर ऐसी भयावह स्थिति आ जाएगी कि वंश की बेल बढ़ाने के लिए लड़कियां ही नहीं बचेंगी। बेटी देवी का रूप होती है। समाज में बेटी को भी वही दर्जा व प्रेम मिलना चाहिए जो एक बेटे को दिया जाता है, तभी स्त्री पुरुष अनुपात में सामंजस्य हो पाएगा। यह बात श्रीमद् भागवत कथा के दौरान व्यास पं. भगवती प्रसाद फोन्दणी ने श्रद्धालुओं को ज्ञान का पाठ पढ़ाते हुए कही।

बुधवार को कंडोली निवासी सुरेन्द्र रतूड़ी द्वारा अपने पूज्य पिताजी स्व. जगेश्वर प्रसाद रतूड़ी के वार्षिक श्राद्ध के मौके पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का ब्रह्मभोज के साथ समापन हो गया। सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन के दौरान व्यास पं. भगवती प्रसाद फोन्दणी कथा सुनाने के साथ-साथ श्रद्धालुओं को व्यावहारिक ज्ञान का पाठ भी पढ़ाया।

उन्होंने कहा कि भ्रूण हत्या शिक्षित समाज की कार्यशैली पर सवालिया निशान है। समाज में मूकबधिर व्यक्तियों का उपहास उड़ाया जाना अज्ञानी होने की पहचान कराता है। व्यास पं. फोन्दणी ने कहा कि हमें कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे किसी को दुःख पहुंचे ऐसा करने वाले ईश्वर को ठेस पहुंचाने का काम करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि धर्म जब अपनी मर्यादा छोड़ देता है तो महाभारत हो जाता है। जिस परिवार में विचारों की समानता होती है वह परिवार साक्षात स्वर्ग रूपी बन जाता है।

श्रीमद् भागवत कथा के समापन के अवसर पर पं. भगवती प्रसाद फोन्दणी ने सभी श्रद्धालुओं के सुखमय जीवन की कामना की। क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद और बह्मभोज ग्रहण किया।

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