अपना दून

… अब दूनवासियों को है झंडे के मेले का इंतजार

होली के त्यौहार के बाद देहरादून वासियों को बेहद ऐतिहासिक और श्रद्धा के प्रतीक झंडे के मेले का इंतजार रहता है। दून में श्रीगुरु राम राय जी के आगमन के सम्मान में 15 दिनों के लिए होली के बाद पांचवें दिन झंडे के मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान यहां स्थित दरबार साहिब में देश के अन्य राज्यों से आने वाले श्ऱद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। पंजाब और हरियाणा से आने वाली संगतें पूरे मनोभाव से दरबार साहिब में सेवाकार्य में जुट जाती हैं।

इस मेले के इतिहास पर नजर डालें तो वर्ष 1699 में, गुरू राम राय जी ने अपने पिता गुरु हर राई जी को मुगल राजा औरंगजेब की अदालत में उनके द्वारा किए गए चमत्कारों के लिए पंजाब से निष्कासित कर दिया था जिसके बाद गुरु राम राय देहरादून आए थे।

हर साल आयोजित होने वाले इस मेले की शुरूआत देहरादून के दरबार साहिब में नया झंडा चढ़ाने के साथ होती है। ऐतिहासिक दस्तावेजों में यह बात दर्ज है कि नानक पंथ के सातवें गुरु हरराय महाराज के ज्येष्ठ पुत्र रामराय ने दून के दरबार साहिब में पहली बार झंडा चढ़ाया था। दून से शुरू हुई यह ऐतिहासिक व सांस्कृतिक परंपरा अब पंजाब, हरियाणा, यूपी, हिमाचल व दिल्ली तक देखी जा सकती है।

Key Words : Uttarakhand, Dehradun, Jhande ka mela, Darbar Sahib, Holi

 

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