उत्तराखंड
भिक्षावृत्ति पर रोक : फरमान के परवान चढ़ने पर एक सवाल

उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग ने प्रदेश में भिक्षावृत्ति पर पर पूरी तरह से रोक लगाये जाने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। सार्वजनिक स्थलों पर भीख मांगते पकड़े जाना अब अपराध माना जाएगा। साथ ही भीख देना भी अब अपराध में सहयोग करना माना जाएगा। 1 जुलाई, 2017 से यह अधिनियम पूरे प्रदेश के जनपदों में लागू माना जाएगा और भीख मांगते और देते पकड़े जाने पर भिखारियों को सीधे हवालात की हवा खानी होगी। प्रदेश सरकार ने यह कदम नैनीताल हाईकोर्ट के उस फैसले को आधार बनाकर लिया है जिसमें प्रदेश के 19 स्थानों पर भिक्षावृत्ति पूर्ण रूप प्रतिबंधित करने का आदेश दिया गया था।
‘देवभूमि लाइव’ की ओर से बातचीत और सोशल मीडिया पर भिक्षावृत्ति पर पूर्ण रोक लगाए जाने के सरकार के फैसले पर किए गए एक सर्वे में ज्यादातर लोगों ने सरकार के इस कदम को सराहनीय बताया है। मगर, सरकार का यह फैसला सरकार के लिए ही परेशानी बढ़ाने वाला भी होगा। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि सूबे की जेलों में पहले से ही क्षमता से कहीं अधिक कैदियों को ढूस-ढूस कर रखा गया है, ऐसे हालातों में भिखारियों और भीख देने वालों को पकड़कर जेल भेजने का फरमान कितना कामयाब हो पाएगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन, जनता के लिए राहत भरी खबर जरूर है।
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