पब्लिक ट्रांसपोर्ट, पार्किंग और ट्रैफिक मैनेजमेंट को चुनावी मुद्दों में शामिल करने की मांग
उत्तराखंड विधान सभा चुनाव को लेकर एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड अर्बन ऐजेंडा 2022 पर जारी की फैक्टशीट
डीबीएल संवाददाता / देहरादून
विधानसभा चुनाव से पहले शुरू किये गये उत्तराखंड अर्बन एजेंडा 2022 के तहत एसडीसी फाउंडेशन ने अपनी चौथी फैक्टशीट जारी है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी, पार्किंग की उचित व्यवस्था न होने और प्रदेश मे चारों तरफ लगते ट्रैफिक जाम को लेकर यह फैक्टशीट जारी की गई है। एसडीसी फाउंडेशन सतत शहरीकरण के मुद्दों को लेकर लगातार फैक्टशीट जारी कर रहा है। एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने कहा कि यह फैक्टशीट सभी राजनीतिक दलों को इस अनुरोध के साथ भेजी जा रही हैं कि वे जन हित के इन मुददों को अपने मेनिफेस्टो में उचित जगह दें।
एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल का कहना है कि राज्य में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और पार्किंग की कमी से मैदानों से लेकर पहाड़ों तक जाम लग रहे हैं। यह बड़ी चुनौती है और राजनीतिक दलों को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। वे कहते हैं कि राज्य में तेजी के साथ शहरीकरण हो रहा है, लेकिन अभी तक पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की कोई ठोस नीति या व्यवस्था नहीं है । इसे देखते हुए आने वाले वर्षों में प्राइवेट वाहनों की संख्या और ज्यादा बढ़ेगी और इसी के साथ पार्किंग और ट्रैफिक जाम की समस्या भी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी डाटा के आधार पर 20 वर्षों के दौरान वाहनों की संख्या में 750ः बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2000 में राज्य गठन के समय करीब 350,000 वाहन रजिस्टर्ड थे। जबकि उत्तराखंड सरकार की सांख्यिकीय डायरी 2019 2020 के अनुसार 31 मार्च 2020 को यह संख्या 29,68,892 थी। कुल वाहनों में से 73 प्रतिशत दोपहिया और 20 प्रतिशत कार आदि छोटे चारपहिया वाहन हैं।
एसडीसी फाउंडेशन ने अपनी फैक्टशीट के साथ 10 ऐसे सुझाव भी दिये हैं, जिन्हें लागू कर इस समस्या से निपटा जा सकता है। अनूप नौटियाल का कहना है कि उत्तराखंड पुलिस, परिवहन, रोडवेज, शहरी विकास, आरटओ और स्मार्ट सिटी जैसे सभी विभागों को मिलकर ट्रैफिक मैनेजमेंट की योजना पर काम करना चाहिए।
अनूप ने कहा की पार्किंग और ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिये हर कॉम्प्लेक्स के लिए पार्किंग अनिवार्य की जाए। पुलिस ट्रैफिक कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए और सड़क सुरक्षा व प्रदूषण को सवोच्च प्राथमिकता दी जाए। अनूप नौटियाल का कहना है कि इन बातों को ध्यान में रखकर रणनीति तैयार की जाए तो ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के साथ ही गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण में भी कमी लाई जा सकती है।