एक एसडीएम के भरोसे तीन-तीन तहसीलों की जिम्मेदारी
पुरोला / संवाद सूत्र | आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील रवाईं घाटी की पुरोला व मोरी तहसील में पिछले पांच महीने से एसडीएम की तैनाती नहीं हो पाई है। यमुना घाटी में मोरी और पुरोला तहसीलदार के अंतर्गत पुरोला में 43 और मोरी ब्लॉक में 68 ग्राम पंचायत हैं। जिनकी आबादी 42 हजार से अधिक है। वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर एसडीएम बड़कोट को पुरोला तहसील की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है।
एसडीएम पुरोला के स्थानांतरण के बाद अभी तक पुरोला में एसडीएम की नियुक्ति नहीं हो पाई है। जिससे स्थानीय लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मोरी ब्लॉक के आराकोट व बगांण क्षेत्र बीते तीन सप्ताह से आपदा की मार से जूझ रहे हैं। इन क्षेत्रों में आपदा से हुई जनहानि, पशुहानि, सेब बागवानी व कृषि समेत आपदा से हुए नुकसान का आंकलन व निगरानी की जिम्मेदारी 172 किमी दूर बड़कोट एसडीएम अनुराग आर्य की देखरेख में की जा रही है। पुरोला व मोरी ब्लॉक की जनता को छोटे-छोटे शासकीय व निजी कार्यों के लिए 42 से 62 किमी दूर बड़कोट तहसील के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर बड़कोट के अलावा पुरोला, मोरी में दो तहसील हैं। रवाईंघाटी के नाम से जाने जाने वाला क्षेत्र भूकंप व आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है। पांच महीने पहले पुरोला एसडीएम पीएस राणा का स्थानांतरण हो गया था, तब से लेकर अब तक एसडीएम का पद रिक्त चल रहा है और वैकल्पिक व्यवस्था चली आ रही है।
स्थानीय जनप्रतिनिधि बलदेव रावत ,राजपाल पंवार, उपेंद्र असवाल, सतेंद्र राणा ने बताया कि पुरोला, मोरी तहसील भूंकप, दैवीय आपदा की दृष्टि से संवेदनशील हैं, आराकोट क्षेत्र में तीन सप्ताह पहले ही आपदा से भारी नुकसान हुआ। पांच माह से जनता एसडीएम के रिक्त पद पर नियुक्ति की मांग कर रही है, लेकिन अभी तक शासन से कोई नियुक्ति नहीं की गई, जिस कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।