शीतकाल के लिए बंद हुए तुंगनाथ के कपाट
रुद्रप्रयाग। सोमवार को तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के छह माह के लिए पूजा अर्चना और पौराणिक परम्पराओं व रीति-रिवाजों के अनुसार बंद कर दिए गए। भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होते ही चल विग्रह उत्सव डोली ने मुख्य मन्दिर सहित अन्य सहायक मन्दिरों की तीन परिक्रमा की और डोली सुरम्य मखमली बुग्यालों में श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंची। डोली आगमन पर श्रद्धालुओं ने पुष्प अक्षत्रों से भव्य स्वागत किया।
मंगलवार को डोली चोपता से प्रस्थान कर बनियाकुण्ड, दुगलबिट्टा, मक्कूबैण्ड होते हुए हुण्डू गांव पहुंचेगी तथा बनातोली में ग्रामीणों ने भगवान तुंगनाथ की डोली को सामूहिक अघ्र्य लगाया जायेगा और डोली अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुण्ड पहुंचेगी। 31 अक्टूबर को भगवान तुंगनाथ की डोली भनकुण्ड से रवाना होकर अपने शीतकालीन गद्दी स्थल तंुगनाथ मन्दिर मक्कूमठ में विराजमान होगी। एक नवम्बर से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा मक्कूमठ में विधिवत शुरू होगी। इस वर्ष भगवान तुंगनाथ के दर पर 15 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पुण्य अर्जित किया। कपाट बन्द होने के पावन अवसर पर केदारनाथ के पूर्व पुजारी गुरू लिंग द्वारा लगभग ढाई लाख की लागत से भगवान तुंगनाथ को दो रूपछड़ी अर्पित की।
इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार सांसद डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक, आशीष गैरोला, राजेश कुंवर, प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित, रणजीत रावत, यदुबीर पुष्वान, राजेन्द्र सिंह रावत, विक्रम सिंह रावत, शिव सिह नेगी, राजेन्द्र सिह पंवार, प्रधान गायत्री देवी, देवानन्द गौरोला, रमेश नौटियाल, अब्बल सिह रावत, भगवती प्रसाद सेमवाल, प्रकाश मैठाणी, चन्द्रबल्लभ मैठाणी, विनोद मैठाणी, अजय प्रसाद मैठाणी, शंकर सिह नेगी, निधि डवराल, कुसुम नेगी, धीर सिह नेगी, सन्दीप सिह रावत, भूपेन्द्र सिह राणा सहित सैकडों श्रद्धालु मौजूद थे।