उत्तराखंड 2018: ट्रैफिक पुलिस की सक्रियता से कम हुए सड़क दुर्घटनाओं के मामले
डीबीएल संवाददाता/देहरादून। वर्ष 2018 में उत्तराखण्ड राज्य में ट्रैफिक पुलिस के प्रयासों से सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में कमी आंकी गई है। विभिन्न जनपदों के पुलिस अधीक्षक यातायात की समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई है कि प्रदेश में ट्रैफिक पुलिस की सक्रियता से सड़क हादसों की संख्या में कमी आई है। पुलिस महानिदेशक ने सीमित संसाधनों के बावजूद ट्रैफिक पुलिस की कर्तव्यनिष्ठा व कार्यशैली की सराहना की।
बुधवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित ट्रैफिक समीक्षा बैठक में पुलिस महानिदेशक अनिल के रतूड़ी ने विभिन्न जनपदों के पुलिस अधीक्षक यातायात से कहा कि पिछले एक वर्षों में हमने सीमित संसाधनों से जनपदों को सुव्यवस्थित करने का प्रयास किया है यह अच्छी बात है कि वर्ष-2018 में सड़क दुर्घटनाओं एवं सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों एवं घायलों की संख्या में कमी आयी है। उन्होंने कहा कि यातायात व्यवस्था का असर शान्ति एवं कानून पर भी पड़ता है। जिसके लिए अधीक्षक अपने जनपद की यातायात की चुनौतियों को समझें, जनता को साथ लेकर चलें और यातायात प्रबन्धन हेतु कार्ययोजना तैयार करें।
महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार, ने कहा कि प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण ओवर स्पीड, नशे में वाहन चलाना, रेश ड्राइविंग, ओवरलोडिंग, एवं वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना है जिन पर सख्त कार्यवाही जरूरी है। सड़कों पर जाम के मुख्य कारणों बिना डीएल वाहन चलाने वालों पर कार्यवाही करें। उन्होंने कहा कि यातायात डयूटी में अच्छे काम करने वाले कर्मियों को प्रोत्साहित करते हुये ट्रैफिक मैन ऑफ द मंथ का अवार्ड दिया जाये तथा लापरवाही करने वाले कर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।
निदेशक यातायात केवल खुराना ने बताया कि विगत वर्ष-2018 में सड़क दुर्घटनाओं में कमी आयी है। यातायात व्यवस्था में पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाये जाने से नियमों का उल्लंघन करने पर चालानों की में संख्या 70 फीसदी का इजाफा हुआ है जिससे 23 करोड़ शुल्क वसूला गया है।