शिक्षा और रोजगार

बिना संस्कारों की शिक्षा अर्थहीन : मुख्यमंत्री

देहरादून। हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी जो अपने बारे में सोचने के साथ-साथ समाज, देश, वैश्विक कल्याण, योग व अध्यात्म के बारे में भी विचार करने को प्रेरित करे। आज दुनिया मान चुकी है कि बिना संस्कारों की शिक्षा अर्थहीन है। यह बात रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्यभर के सरस्वती विद्या मन्दिरों के मेधावी छात्र-छात्राओं के सम्मान समारोह के अवसर पर कही।

रविवार को सरस्वती विद्या मन्दिर, सुमननगर देहरादून में आयोजित विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान उत्तराखण्ड द्वारा राज्यभर के सरस्वती विद्या मन्दिरों के मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि विद्या मन्दिरों एवं सरस्वती शिशु मन्दिरों का उत्तराखण्ड के शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। छात्रों में गुणवतायुक्त शिक्षा के अतिरिक्त संस्कारों व जीवन मूल्यों का विकास करने में सरस्वती विद्या भारती मन्दिरों ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार से विद्या भारती मन्दिरों व सरस्वती शिशु मन्दिरों ने उत्तराखण्ड के अतिरिक्त सम्पूर्ण देश के दूरस्थ, पिछडे व आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा का नेटवर्क खड़ा किया है यह प्रंशसनीय ही नही बल्कि रिसर्च का भी विषय है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा, विशेषकर उच्च शिक्षा में गुणवता सुधार हेतु गम्भीर प्रयास कर रही है। राज्य सरकार प्रयासरत है कि गुणवतापूर्ण व नैतिक मूल्यों से युक्त शिक्षा के साथ ही बाजार व औद्योगिक मांगों के अनुरूप रोजगारोन्मुख सुदृढ़ शिक्षा प्रणाली विकसित की जाय। मुख्यमंत्री ने हंस फाउण्डेशन द्वारा सरस्वती विद्या मन्दिर को भेंट की गई बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस अवसर पर विधायक उमेश शर्मा काऊ, संघ प्रचारक श्यामलाल, आइडिया के टेकनीकल हेड राजशेखर जोशी, हंस फाउण्डेशन के प्रतिनिधि सतपाल सिंह नेगी सहित कई गणमान्य उपस्थित थे।

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