उत्तराखंड

आपदा प्रबन्धन : महिला और युवक मंगल दल भी सीखेंगे खोज एवं बचाव के गुर

देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) द्वारा विजन-2020 के तहत राज्य में पंजीकृत संस्थाओं के माध्यम से महिला एवं युवक मंगल दलों को आपदा प्रबन्धन व खोज-बचाव हेतु प्रशिक्षित किये जाने के लिए विस्तृत रूपरेखा तैयार की गयी है। महिला एवं युवक मंगल दलों की प्रशिक्षण अवधि 05 दिन जबकि विद्यालय स्तर पर आयोजित होने वाले आपदा जागरूकता कार्यक्रमों की अवधि 01 दिन की होगी। इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य प्रदेशवासियां को आपदाओं से लड़ने के लिये तैयार करना तथा क्षमता, विकल्प, जागरूकता, प्रशिक्षण के माध्यम से आपदा में होने वाली क्षति को कम करना है।
सचिव अमित नेगी ने बताया कि राज्य को विषम भौगोलिक परिस्थतियों के कारण विभिन्न प्रकार की आपदाओं का सामना करना पड़ता है। अकस्मात् घटने वाली किसी भी आपदाओं में सबसे पहले बचाव एवं राहत का कार्य स्थानीय लोगों द्वारा चलाया जाता है, लेकिन प्रशिक्षित लोगों की कमी और खोज-बचाव के उपकरणों की अनुपलब्धता के कारण उनके प्रयास फलीभूत नहीं हो पाते। इसी तथ्य का संज्ञान लेते उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा विजन-2020 के तहत राज्य में पंजीकृत संस्थाओं के माध्यम से महिला एवं युवक मंगल दलों को आपदा प्रबन्धन व खोज-बचाव में प्रशिक्षित किये जाने के लिये विस्तृत रूपरेखा तैयार की गयी है।
जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा पंजीकृत स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से महिला एवं युवक मंगल दलों को विकासखण्ड स्तर पर आपदा खोज एवं बचाव का प्रशिक्षण दिया जायेगा। जबकि चयनित स्वयं सेवी संस्थाओं के संसाधन व्यक्तियों का 02 दिवसीय ओरियेन्टेशन आपदा प्रबन्धन विभाग द्वारा किया जायेगा। प्रशिक्षणों की समाप्ति पर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध करवायी जायेगी। जिनका डाटा विभाग अपनी आधिकारिक वैबसाइट पर अपलोड करेगा। प्रशिक्षण से सम्बन्धित प्रशासनिक एवं मूल्यांकन कार्य राज्य एवं जिला स्तरीय समन्वयन समितियों द्वारा किया जायेगा। अतिरिक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम के मूल्यांकन हेतु ब्लॉक स्तर पर खण्ड विकास अधिकारी की अध्यक्षता में त्रिस्तरीय समिति का गठन किया गया है।
कार्यक्रमों के संचालन में प्राप्त फीडबैक व प्रगति की समीक्षा किये जाने हेतु राज्य समन्वय समिति की बैठक त्रैमासिक आधार पर होगी जबकि जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक प्रत्येक माह में आयेजित की जानी होगी। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के निर्बाध संचालन के लिये यह भी व्यवस्था की गयी है कि मुख्य विकास अधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी द्वारा कुल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के 5 प्रतिशत, आपदा प्रबन्धन अधिकारी 10 प्रतिशत तथा खण्ड स्तर पर गठित समिति के द्वारा कुल 30 प्रतिशत कार्यक्रमों का भौतिक निरीक्षण/सत्यापन किया जायेगा व अपनी रिपोर्ट जिला स्तरीय समिति के माध्यम से शासन की समिति को प्रेषित की जायेगी।
वहीं दूसरी ओर न्याय पंचायत पर यू.एस.डी.एम.ए. द्वारा खोज, बचाव व प्राथमिक चिकित्सा के अन्तर्गत 612 न्याय पचायतों के 15,300 स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
ग्राम प्रधान उपलब्ध करायेंगे जरूरी उपकरण :
शासन द्वारा अपने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भागीदारी भी सुनिश्चित किये जाने को प्रमुखता दी गयी है। इस बावत जिलाधिकारियों को विधायक, ब्लॉक प्रमुख के साथ ही ग्राम प्रधानों को भी कार्यक्रम में उनके स्तर से सहयोग दिये जाने का आग्रह करने की बात भी कही गयी है। ग्राम प्रधानों के पास राज्य वित्त आयोग से प्राप्त हो रही सहायता राशि में से प्रशिक्षित समूहों हेतु लाउड हैलर, सर्च लाईट, प्राथमिक चिकित्सा किट, रस्सियां व अन्य खोज बचाव उपकरण जिन्हें स्थानीय स्तर पर आवश्यक समझा जाये, खरीदे जाने को कहा गया है। इस प्रकार के प्रशिक्षणों में होने वाले खर्च का वहन स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फन्ड के क्षमता विकास मद से वहन किया जायेगा। यदि और धनराशि की जरूरत हुयी तो प्रस्ताव जिलाधिकरी के माध्यम से शासन को उपलब्ध कराया जायेगा।

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