बैंकिंग सेवा न मिलने से बढ़ रहा गुस्सा
देहरादून। उत्तराखंड के पहाड़ के जिलों में बैंकिंग सुविधाएं लोगों की एक बड़ी दुविधा बन रही है। बैंकों में कभी नकदी का संकट तो कभी सर्वर का डाउन होना, आए दिन एटीएम मशीनों का ठप रहना लोगों के लिए हर रोज एक नया संकट लेकर आते हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि पहाड़ में राष्ट्रीकृत सहित अन्य बैंकों की शाखाओं में चक्कर लगाना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। बैंक से पैसा निकालना या जमा करना भी अब किस्मत से जोड़कर देखा जाने लगा है। देहरादून की अभिव्यक्ति संस्था की ओर से हाल ही में ‘पहाड़ों में बैंकों की कार्यप्रणाली’ को लेकर किए गए एक सर्वे में यह बात निकलकर आई है।
टिहरी जिले में बैंकिंग सुविधाओं को लेकर अभिव्यक्ति संस्था की ओर से किए गए एक सर्वेक्षण में बैंकों की खस्ताहाल सेवाओं को लेकर लोगों की नाराजगी सामने आई। उनका कहना है कि तकरीबन हर दिन बैंक की कार्यप्रणाली में कुछ न कुछ खराबी का आना आम बात हो गई है। बैंक कर्मी मैनुअल तकनीक से काम करना नहीं चाहते हैं वहीं कम्प्यूटर में तकनीकी खराबी आने पर उपभोक्ताओं के बैंक से जुड़े सारे काम अटक जाते हैं।
जिले के महिला समूहों का कहना है कि मनरेगा, रोजगार गारंटी सहित ब्लाॅक स्तर पर संचालित होने वाली राज्य सरकार की परियोजनाओं का पैसा सीधे एकाण्ट में डिपोजिट किए जाने का प्राविधान है, लेकिन बैंक से पैसा निकालना किसी चुनौती से कम नहीं है। महिला समूह से जुड़ी खजानी देवी कहती हैं कि रोजमर्रा की जरूरतों के लिए नकद पैसा बेहद जरूरी है, लेकिन बैंकों में आने वाली तकनीकी खराबियांे के चलते उधारी करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। साथ ही रोजगार और अन्य दायित्व भी प्रभावित होते हैं।
उषा देवी का कहना है कि बैंक के सिस्टम में बदलाव और तेजी का लाया जाना बेहद जरूरी है जिससे समय की बचत होगी और उपभोक्ता अपने कार्यों को भलीभांति कर पायेंगे। विजय लक्ष्मी कहती हैं कि ग्रामीण स्तर पर संचालित की जा रही परियोजनाओं में नकद का प्राविधान कमीशन खोरी के कारण बंद किया गया, लेकिन अब बैंकों के चक्कर लगाना नई समस्या बन गया है। अभिव्यक्ति संस्था के सर्वे में यह बात निकलकर आई है कि पहाड़ों में बैंकों की कार्यप्रणाली में शीघ्र सुधार की जरूरत है। इसके लिए बैंकों में तकनीकी खामियों को दुरूस्त करने के साथ वैकल्पिक व्यवस्थाओं को बढ़ावा दिए जाने की भी जरूरत है जिससे उपभोक्ताओं को परेशानी न हो खासतौर पर घर और बाहर की जिम्मेदारियां निभा रहीं महिलाओं की परेशानी कम हो सके।
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