तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ कैलाश रवाना
रुद्रप्रयाग। पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ से तुंगनाथ पुरी के लिए रवाना हुई। बुधवार को पंच पुरोहितों, वेदपाठियों व हक-हकूकधारियों ने भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में भगवान तुंगनाथ की मूर्तियों का वैदिक मंत्रोचारण के साथ अभिषेक किया। तदपश्चात विशेष पूजा-अर्चना के बाद भगवान तुंगनाथ की मूर्ति को डोली में विराजमान किया गया व डोली का भव्य श्रृंगार कर वस्त्रों, फूल-मालाओं से डोली को सजाया गया।
ब्राह्मणों, वेदपाठियों व हक-हकूकधारियों ने डोली की आरती उतारकर डोली को सभामंडप से मंदिर परिसर लाया गया। चल विग्रह डोली के साथ चल रहें देवकंडी, रूप छडी, त्रिशूल सहित विभिन्न देवी-देवताओं के निशाणों ने मक्कूमठ मन्दिर की तीन परिक्रमा कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। आशीर्वाद देते समय श्रद्वालुओं द्वारा पुष्प अक्षत्रों से डोली का भव्य स्वागत किया गया व वस्त्र चढ़ाकर मनौतिया मांगी गई। स्थानीय वाद्ययंत्रों की मधुर धुनों, श्रद्धालुओं की जयकारों के साथ सम्पूर्ण मक्कूमठ गंुंजायमान हो उठा तथा नर रूप में कई देवी-देवता अवतरित हुए। उसके बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली मक्कू गांव से होते हुए पुणकी (भोग) नामक तोक में पहुंची। जहां पर श्रद्धालुओं द्वारा डोली को दशकों से चली आ रही परम्परा के अनुसार नये अनाज से बने कई व्यंजनों से भोग लगाया गया। देर सांय भगवान तंुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि विश्राम के लिए गांव के मध्य अवस्थित भूतनाथ मंदिर पहुंची।
बृहस्पतिवार को भगवान तुंगनाथ की डोली भूतनाथ मन्दिर से प्रस्थान कर पाब-जगपुडा, चिलयाखोड़, दुलगबिट्टा, भनियाकुण्ड यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओ को आशीष देते हुये द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी तथा पांच मई को शुभ लग्नानुसार तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट श्रद्वालुओं के दर्शनार्थ को खोले जाएंगें। इस मौके पर प्रबंधक प्रकाश पुरोहित, आचार्य लम्बोधर प्रसाद मैठाणी, जय सिंह चैहान, धीर सिंह नेगी सहित कई श्रद्धालु व हक-हकूकधारी मौजूद थे।
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